🚩🇮🇳🚩 300 वर्ष तक भारत के बड़े भूभाग पर राज करने वाले

🚩🇮🇳🚩 300 वर्ष तक भारत के बड़े भूभाग पर राज करने वाले होलकर की जाति से आने वाले धनगर और सिंधिया के कुनबे वाले आज पिछड़े हैं।

वहीं उन महाराजा विक्रमादित्य हेमराज तेली के वंशज आज पिछड़े हैं जिन्होंने अखंड भारत पर राज किया..!

वह मौर्य साम्राज्य आज पिछड़ा/दलित है, जिनके वंशजों ने पीढ़ियों तक बंगाल की खाड़ी से लेकर पर्शिया की सीमा तक अखंड भारतवर्ष पर राज किया।

महापद्मनंद और धनानंद का वंशज नाई समुदाय आज पिछड़ा है। जो भारत के सबसे शक्तिशाली राजे होते थे !

हिंदुओं के सबसे पवित्र ग्रंथ रामायण के रचियता और श्री राम की अर्धांगिनी माता सीता को अपने आश्रम में शरण देने वाले, श्री राम के पुत्रों लव कुश का पालन पोषण और उनको शिक्षित करने वाले महर्षि वाल्मीकि के वंशज आज अछूत कैसे हो गए या हो सकते हैं?

महर्षि वेद व्यास की माता व मछुआरा समुदाय से आने वाली रानी सत्यवती के वंशज भी आज पिछड़े हैं। जिनके बच्चे हस्तिनापुर पर राज करने वाले कौरव और पांडव अखंड भारत के सबसे महान योद्धा और चक्रवर्ती सम्राट थे।

उस आदिवासी कन्या शकुंतला का समुदाय भी आज अनुसूचित जनजाति में काउंट होता है जिनके पुत्र "भरत" के नाम पर इस देश का नाम भारत पड़ा।

महर्षि वेद व्यास, महर्षि वाल्मीकि, आचार्य विदुर,8 सौ साल शासन करने वाला नागवंश, मौर्य वंश,गुप्त वंश सम्राट चंद्रगुप्त, सम्राट अशोक जैसे और भी अनेका अनेक उदाहरण हैं.... जिनके वंशज/स्वजातीय लोग आज स्वयं को अनुसूचित जाति,अनुसूचित जनजाति और पिछड़ा वर्ग का बताकर अपने साथ शोषण, दमन और अत्याचार हुआ बताते हैं।

अब सवाल ये उठता है कि...
क्या इतने लंबे समय तक राज करने वाले इन वर्गों के राजाओं ने अपनी ही जात, बिरादरी वालों पर स्वयं ही अत्याचार किया/होने दिया या उन को पढ़ने/बढ़ने नही दिया !! उन्हें हजारो वर्षों से अनपढ़, गंवार व शोषित बनाये रखा।

भगवान कृष्ण के वंशज होने का दावा करने वाले, आज भी बड़ी बड़ी जमीन जायदाद वाले, हर तरह से संपन्न यदुवंशी अंततः पिछड़े कैसे हो गए?

मध्य काल में बहराइच से नेपाल तक बड़े भूभाग पर राज करने वाले पासी,राजभर आखिर दलित कैसे हो गए।

मध्यकाल में प्रसिद्ध पाल,सोलंकी, सैन वंशी राजाओं के वंशज कैसे पिछड़े,एससी हो गए?

इतिहास में चंवर वंशी राजाओं का जिक्र है जो आज दलित कहे जाते हैं।

गौर, गुर्जर, मीणा, जाट, वर्मा, गोंड आदि वर्ग के राजा सब बड़े लम्बे समय तक शासक रहे हैं। देश के इतिहास में इनकी छाप है। लेकिन ऐसा क्या हुआ कि मुगल आक्रांताओं के शासन काल व उसके बाद अंग्रेजी शासन काल की गुलामी के बाद ये सारे वर्ग विभाजित होकर वंचित, शोषित और पीड़ित कहलाने लगे.... क्या किसी ने यह विचार किया कि कहीं विदेशी आक्रांताओं ने ही हिंदू सनातन समाज में फूट डालने के लिए ये अंकुरण तो नहीं किया?

परतंत्रता से निकलने के बाद भी विभाजन की दोधारी तलवार से समस्त हिंदु समाज को काटने की रणनीति के चलते ही 1947 के बाद इस विभाजन को और गहरा ही किया गया।

अन्यथा यह कैसे संभव है कि तुम लंबे समय तक राज भी करो और विदेशी नेक्सस के फैलाए जाल में फंसकर विक्टिज़्म भी बन जाओ... और राजा बनने के बाद भी क्या आपके स्वजातीय राजा अपनी जात/बिरादरी के साथ ऐसा ही करते रहे कि वो अनपढ़/गंवार/मूर्ख/पिछड़ा/दबा/कुचला ही बना रहे।

सैकड़ों वर्षो तक अखंड भारत पर राज करने के बाद भी तुम अपनी जाति का उद्धार नहीं कर सके तो इसमें दोष ब्राह्मण और हिन्दू धर्मशास्त्र को क्यों देते हो?
एक बार स्वयं की ओर झांक कर भी देखो..!
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