मुक्ति का मार्ग


राजा ने एक तोता खरीद लिया। महल
के बाहर एक महात्मा अपना।
प्रवचन सुना रहे थे। राजा को भी वहां
जाने की उत्सुकता जागी। राजा ने अपने
तोते से कहा, तो तोता बोला, "महाराज जी से पूछकर आना कि मुक्ति का मार्ग
क्या है?"

राजा ने जाकर महात्मा जी से यही प्रश्न किया।

महात्मा जी मौन होकर भूमि पर लेट गए। बिलकुल शव की तरह। फिर
कुछ नहीं बोले और न हिले न डुले।

राजा ने महल में आकर तोते से कहा, "मिठू राम, तुम्हारे प्रश्न के उत्तर
में महात्मा जी तो शव के समान चुपचाप लेट गए। कुछ नहीं कहा।"

तोते को अपने सवाल का जवाब मिल गया। तोता भी चुपचाप, बिना
हिले-डुले सांस रोक कर लेट गया।
राजा का सेवक जब उसे दाना-पानी देने

आया तो समझा कि तोता मर चुका है। यह सोचकर सेवक ने जैसे ही पिंजरे का
दरवाजा खोला, तोते ने अपने पंख फड़फड़ाए और निकलकर उड़
गया।




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