प्रश्न - द्वापर युग के कुरुक्षेत्र यूद्ध का नाम महाभारत क्यों पड गया । अब .उत्तर देखिएगा

इस प्रश्न का उत्तर बहुत लम्बाई पकड सकता है क्योंकी यह कोई मामूली ग्रन्थ नही है
बल्कि भारत का महाभारत है लेखन कला में मेरा अनुभव कहता है की ज्यादा लम्बे लेख नीरस लगते हैं और पाठक उन्हें ठीक से पूरा नहीं पढ़ते बल्कि कुछ पाठक तो शीर्षक देख कर ही वाह वाह i बहुत बढ़िया लिखा आदि बधाई दे देते हैं i भारतवर्ष का इतिहास लिखते
समय इस ग्रन्थ का नाम महाभारत क्यों पडा , केवल यही एक विस्मय नहीं है बल्कि अनेकों और भी विषमय हैं i सृष्टी की रचना में सर्व प्रथम युग कृतयुग था जिसमें शत प्रतिशत सत्य बोलने के कारण उसका नाम ही सतयुग पड गया i सतयुग प्रथम युग था और द्वापर दूसरा युग, त्रेता तीसरा युग और कलयुग चौथा युग i ब्रह्मा की इस रचना को ईश्वरीय ईच्छा ने ऐसा नाच नचा दिया की स्वयं ब्रह्मा भी नहीं समझ पाए की द्वापर की जगह त्रेता क्यों
आ गया ? द्वापर पीछे क्यों चला गया ? अगला आश्चर्य यह है की कुरुक्षेत्र में हुए इस युद्ध का नाम महाभारत होने का क्या कारण था ? आगे अनेकों आश्चर्य हैं की यदि कृष्ण स्वयं ही भगवान थे तो उन्होंने इस महायुद्ध को टाला क्यों नहीं ? वीर अभिमन्यु को
क्यों मरवा दिया ? अपनी लाडली बहन सुभद्रा को गर्भवती होने के बाद केवल विवाह का दिखावा करने के लिए अर्जुन के साथ क्यों भगा दिया जबकी गर्भ अर्जुन का नहीं था ? अपनी प्रिय भक्त एवं मुंह बोली बहन द्रोपदी के वस्त्र क्यों उतरने दिए ? अपने प्रिय
भक्त भीष्म पितामह को इतनी दुर्गति करके क्यों मरवाया ? युद्ध का निर्णय हो जाने के बाद विश्व विजेता द्वारिका की २ अक्षौणी सेनाएं अपने ही विरुद्ध युद्ध करने के लिए दुर्योधन को क्यों दे दी ? आदि आदि अनेकों प्रश्न हैं परन्तु लेख की सीमा को सीमित करते हुए पहले यह बताऊंगा की कुरुक्षेत्र युद्ध का नाम महाभारत क्यों पडा ? सृष्टी की रचना के बाद ब्रह्म देव ने एक भूभाग को अपनी तपो स्थली बनाया और यहाँ पर ब्रह्म सरोवर की स्थापना करके बड़े बड़े यज्ञ रचाये, धार्मिक अनुष्ठान कराये तथा इस क्षेत्र को बहुत सारे वरदान दे दिए i सबसे बड़ा वरदान यह था की इस क्षेत्र में जो भी जीव,
मनुष्य हो चाहे पशु पक्षी हो, अपने अंतिम सांस इस भूमी पर लेगा वह मोक्ष का भागीदार होगा i कालान्तर सतयुग के एक धार्मिक महाराजा कुरु ने ब्रह्म देव से प्रार्थना करके इस भू भाग को अपनी तपो स्थली बनाने हेतु दान में ले लिए जिसके कारण कुरु का क्षेत्र
अर्थात कुरुक्षेत्र नाम पड गया i इसी क्षेत्र को भगवान श्री कृष्ण ने गीता स्थली बनाया और यहाँ ज्योतिसर तीर्थ की स्थापना करी i भगवान् श्री कृष्ण जानते थे की कुरुक्षेत्र में असंख्य वीर योध्या प्राण न्योछावर करेंगे अतः उन्हें मोक्ष देने के लिए इसी स्थान को युद्ध भूमी बनाया i अब देखिये की इसका नाम कुरुक्षेत्र युद्ध की जगह महाभारत युद्ध क्यों पडा ? यह महाकाव्य 'जय संहिता', 'भारत' और 'महभारत' इन तीन नामों से प्रसिद्ध हैं। वास्तव में वेद व्यास जी ने सबसे पहले १,००,००० श्लोकों के
परिमाण के 'भारत' नामक ग्रंथ की रचना की थी, इसमें उन्होने भारतवंशियों के चरित्रों के साथ-साथ अन्य कई महान ऋषियों, चन्द्रवंशी-सूर्यवंशी राजाओं के उपाख्यानों सहित कई अन्य धार्मिक उपाख्यान भी डाले। इसके बाद व्यास जी ने २४,००० श्लोकों का बिना किसी अन्य ऋषियों, चन्द्रवंशी-सूर्यवंशी राजाओं के उपाख्यानों का केवल भारतवंशियों
को केन्द्रित करके 'भारत' काव्य बनाया। इन दोनों रचनाओं में धर्म की अधर्म पर विजय होने के कारण इन्हें 'जय' भी कहा जाने लगा अर्थात जय संहिता । महाभारत में एक कथा आती है कि जब देवताओं ने तराजू के एक पासे में चारों "वेदों" को रखा और दूसरे पर
'भारत ग्रंथ' को रखा, तो 'भारत ग्रंथ' सभी वेदों की तुलना में सबसे अधिक भारी सिद्ध हुआ। अतः 'भारत' ग्रंथ की इस महत्ता (महानता) को देखकर देवताओं और ऋषियों ने इसे 'महाभारत' नाम दिया और इस कथा के कारण मनुष्यों में भी यह काव्य 'महाभारत' के नाम
से सबसे अधिक प्रसिद्ध हुआ

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