विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 को कोलकाता में हुआ था। उनके असली नाम नरेंद्रनाथ था। उनके पिता विश्वनाथ दत्त एक विद्वान थे और उनकी माता भुवनेश्वरी देवी एक धर्मगुरु की बेटी थी।
नरेंद्रनाथ की शिक्षा घर पर हुई थी और उन्होंने बचपन से ही बहुत समय ध्यानाभ्यास में बिताया था। उन्होंने अपनी शिक्षा को आगे बढ़ाने के लिए विश्वविद्यालय में प्रवेश किया।
नरेंद्रनाथ अपनी अद्भुत वाणी और अच्छी शिक्षा के लिए जाने जाते थे। उन्होंने जब भारत से बाहर जाकर अमेरिका जाने का फैसला किया तो उन्हें भारत की आध्यात्मिकता को दुनिया में प्रचार करने का इरादा था।
विवेकानंद ने अमेरिका में बहुत सफलता हासिल की। उन्होंने अपनी बात को स्पष्ट करने के लिए अंग्रेजी में भाषण दिए और भारतीय संस्कृति और धर्म को बताया। उन्होंने अमेरिका में हिन्दू धर्म के बारे में लोगों को जागरूक किया और उनकी आध्यआत्मा के अस्तित्व को समझाने के लिए उन्होंने वेदांत दर्शन का प्रचार किया। इससे वे अमेरिका में एक प्रतिष्ठित व्यक्ति बन गए और वहां के लोग उनकी बात सुनने के लिए बहुत उत्साहित होते थे।
वापस भारत लौटने के बाद विवेकानंद ने भारत के लोगों को जागरूक करने के लिए काफी प्रचार किया। उन्होंने भारतीय संस्कृति के महत्व को समझाने का प्रयास किया और धर्म के महत्व को बताया।
विवेकानंद ने एक आश्रम स्थापित किया जिसे 'बेलूर मठ' के नाम से जाना जाता है। इस आश्रम में उनके शिष्यों ने उनके शिक्षाओं को आगे बढ़ाने का काम किया और भारत के लोगों को जागरूक करने में मदद की।
विवेकानंद ने 4 जुलाई 1902 को बेलूर मठ में अपने आखिरी सांस ली।
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उनका जीवन धर्म, ज्ञान और सेवा के लिए समर्पित रहा। उनकी जीवनी एक महान आध्यात्मिक गुरु के रूप में हमारे इतिहास में सदैव याद रहेगी।