जाने-माने लेखक और पत्रकार सखाराम बदेड़कर एक बार
अपने दो
दोस्तों के साथ स्वामी विवेकानंद से मिलने गए। बातचीत के दौरान स्वामी जी
को पता चला कि उनमें से एक सज्जन पंजाब के निवासी हैं। उन दिनों पंजाब में
अकाल पड़ा हुआ था। स्वामी जी ने अकाल पीड़ितों के बारे में चिंता प्रकट की
और पूछा, "पीड़ितों के लिए क्या-क्या राहत कार्य किए जा रहे हैं?"
उक्त सज्जन
ने कहा, "महाराज, मैं तो आपके पास इस आशा से आया था
कि धर्म के विषय में कोई बढ़िया उपदेश सुनने को मिलेगा। लेकिन आम तो
आम बातों की ही चर्चा करते रहे। आपके पास से कुछ भी ज्ञान नहीं मिला।"
स्वामी जी बोले, "भाई जब तक मेरे देश में एक भी बच्चा भूखा है, तब
तक उसे खिलाना, उसे संभालना, यही सच्चा धर्म है।
इसके सिवा जो कुछ है,
वह झूठा धर्म है। जिनका पेट खाली हो, उनके सामने धर्म का उपदेश करना
निरा दंभ है। पहले उन्हें रोटी देने की कोशिश करनी चाहिए क्योंकि उनके लिए
सबसे जरूरी रोटी ही है।"